पाठ: षष्ठ: कक्षा 6 कलहः नाशस्य कारणम्

 


शिक्षणबिन्दुः कलहस्य निवारणम् परस्परम् एव करणीयम्।


(नेपथ्ये 'म्याऊँ-  म्याऊँ... ध्वनिः भवति। एका विडाली मञ्चे प्रविशति ।)

प्रथमा बिडाली- (परिक्रम्य) अद्य गृहे एकम् अपि मूषकं न पश्यामि । किं करवाणि?

 ( पहली बिल्ली- परिक्रमा करते हुए आज घर में एक भी चूहा नहीं दिखा क्या करूं?  ) 

(चिन्तिता भूत्वा भूमो उपविशति) चिंतित होकर भूमि पर बैठ जाती है।


   द्वितीया बिडाली- (म्याऊँ म्याऊँ म्याऊँ) भगिनि। कथं चिन्तिता असि ? बहन क्यों चिंतित हो?


प्रथमा बिडाली - बहु बुभुक्षिता अस्मि। स्वल्पम् अपि भोजनं न प्राप्तम्। किं करवाणि? 

  बहुत भूखी हूं थोड़ा सा भी भोजन नहीं प्राप्त हुआ क्या करूं?

द्वितीया बिडाली- चिन्ता मा कुरु । पश्य, तत्र एका कर्पटिका अस्ति । चिंता मत करो। देखो वहां एक रोटी है।

प्रथमा बिडाली--शीघ्रम् आनय । जल्दी लाओ।

(द्वितीया विडाली कपटिकाम् आनयति उभे बहिः निर्गत्य वृक्षस्य छायायां तिष्ठतः।) 

(दूसरी बिल्ली रोटी लाती है दोनों चाय बना बाहर निकल कर वृक्ष की छाया में बैठती है।) 


द्वितीया बिडाली--अहं कर्पटिकाविभाजनं करोमि। (नखैः कपटिकाविभाजनं करोति)एषः भागः मम अस्ति ।

मैं रोटी का विभाजन  करती हूं । (नाखून से रोटी का विभाजन करती है) यह भाग मेरा है।


 प्रथमा विडाली--  त्वम् धूर्ता असि। अहं लघुखण्डं न खादामि। द्वितीया बिडाली- तर्हि त्वम् एव विभाजनं कुरू।

 तुम चालाक हो । मैं छोटा खंड नहीं खाऊंगी। 

दूसरी बिल्ली -तो तुम ही विभाजन करो।



(वृक्षस्य उपरि एकः वानरः तयोः कलहं पश्यति चिन्तयति च।) वृक्ष के ऊपर एक बंदर दोनों की लड़ाई देख रहा  है और सोच रहा है। 

वानरः(स्वगतम्) अहम् तत्र गच्छामि स्वार्थं च साधयामि। (अपने आप )मैं वहां जाता हूं और अपना स्वार्थ सिद्ध करता हूं।

(तत्र गत्वा) हे भगिन्यौ ! युवाम् शान्तं भवतम् । यदि मयि वानरे विश्वासम् अस्ति, तदा अहम् एव कर्पटिकायाः विभाजनं करोमि। 

वहां जाकर हे बहनों तुम दोनों शांत हो जाओ। यदि वानर पर विश्वास है तो मैं ही रोटी का विभाजन करता हूं। 

   बिडाल्यौ     (परस्परं विलोक्य) नहि वानर नहि, त्वं विश्वासयोग्यः न असि। त्वम् तु अतीव धूर्त: चञ्चलः च असि । दोनों बिल्ली --( आपस में एक दूसरे को देख कर )नहीं नहीं  बंदर ,तुम विश्वास योग्य नहीं हो। तुम तो बहुत ही चालाक और चंचल हो।

  वानरः--     एवं मा वदतम् भगिन्यौ। अहं नरस्य भ्राता अस्मि । अतः मम नाम वानरः अस्ति। यथा नरः विश्वासयोग्यः भवति तथैव अहमपि विश्वासयोग्यः अस्मि ।

 ऐसे मत कहो बहनों। मैं मनुष्य का भाई हूं। इसीलिए मेरा नाम वानर है । जैसे नर विश्वास के योग्य होता है ,वैसे ही मैं भी विश्वास योग्य हूं।

 प्रथमा बिडाली-- अयि भगिनि! अयं वानरः सत्यं वदति।

  ए बहन, यह वानर सत्य बोलता है।

द्वितीया बिडाली-- तावत् त्वं तुलाम् आनय ।

 जल्दी तुम तुला ले आओ।

वानरः--साधु, तुलाम् आनयामि। ठीक है , तराजू लाता हूं।

(बहिः गच्छति, तुलया सह आगच्छति। मध्ये उपविशति वदति च) । 

बाहर जाता है तराजू के साथ आता है। और बीच में बैठ कर बोलता है। 

युवाम् मह्यम् कर्पटिकां यच्छताम्। अहम् तस्याः द्विभागं करोमि, अधुना समम् तोलयिष्यामि।

 तुम दोनों मुझे यह रोटी दे दो। मैं इसके दो भाग करता हूं और अब समान तौलूँगा।


(वानरः कपटकां विभज्य तोलयति कथयति च) अयि भगिन्यौ! अयं खण्डः गुरुतरः अस्ति । अस्तु, अहं समम् करोमि। 

बंदर रोटी को तोड़ कर तौलता है और कहता है -अरे बहनों यह खंड बड़ा है ,रुको मैं बराबर करता हूं।


(किञ्चित् दन्तैः कर्तयित्वा वादति पुनः तोलयति ।) अरे, अधुना द्वितीयः भागः गुरुतरः अस्ति। 

दांत से काटकर बोलता है और फिर तौलता है ।अरे अब इसका दूसरा भाग बड़ा है।


(पुनः अपरं खण्डं दन्तैः कर्तयति। एवं प्रकारेण द्वित्रि वारं करोति । अन्ते तु केवलं एकः लघुखण्डः शेषः।)

  फिर बचा हुआ दूसरा टुकड़ा दातों से काटता है। इस प्रकार दो बार करता है। अंत में तो केवल एक छोटा टुकड़ा ही शेष बचा।

प्रथमा बिडाली भगिनि! पश्य, पश्य। अयं दुष्टः वानरः सम्पूर्णकर्पटिकाम् अखादत् । 

पहली बिल्ली- बहन देखो ,देखो यह दुष्ट बंदर पूरी रोटी को खा गया । 


द्वितीया बिडाली सत्यं कथयसि। अरे धूर्तवानर! तम् अवशेषखण्डं मह्यम् देहि। आवाम् विभाजनं करिष्यावः। 

दूसरी बिल्ली-  सत्य कहती हो। चालाक बंदर यह बचा हुआ टुकड़ा मुझे दे दो। हम दोनों विभाजन कर लेंगे।

वानरः- (हसित्वा) शोभनम् शोभनम्। परं कुत्र अस्ति मम परिश्रमस्य वेतनम् ? अतः इमं भागं वेतनरूपेण स्त्रीकरोमि।

 वानर- (हंसकर )अच्छा ,अच्छा पर मेरी परिश्रम का वेतन कहां है? इसीलिए यह भाग में वेतन के रूप में स्वीकार करता हूं।

(एवं कथयित्वा शेषखण्डं खादति वृक्षम् च आरोहति। उभे परस्परं मुखम् पश्यतः।)यह कहकर से बचा हुआ टुकड़ा खाता है और बृक्ष के ऊपर चढ़ जाता है। दोनों एक दूसरे का मुख देखतीं हैं।


अतः उच्यते– “कलहः नाशस्य कारणम् ।” कलह (लड़ाई) नाश का कारण है।


सही उत्तर चुनिए-

  1- गृहे

   2- कर्पटिका

   3- वानरः

   4-  तुलाम्

   5- एकः लघु खण्ड:

   6- विनाशस्य


I I क: कम् कथयति- 

   1- द्वितीया विडाली     -    प्रथमा बिडाली 

   2-  प्रथमा बिडाली      -     द्वितीया विडाली 

   3-  वानरः                        विडाल्यौ

   4-  द्वितीया विडाली            वानरं

    5-  वानरः                          विडाल्यौ


III रिक्त स्थानानि पूरयत-- 

 1 -  अहम्

  2-   मम्,   तव

  3-    त्वं

   4-   युवाम्

   5- आवाम्


IV. अधोलिखित वाक्यानि घटनाक्रमानुसारं लिखत-

(नीचे लिखे वाक्यों को घटनाक्रम के अनुसार लिखिए ।) (Rewrite the sentences in order of occurrence of the incidents.)

1- द्वे बिडालिके कर्पटिकां आनयतः।

2. यदा ते विभाजनं कुरुतः, तदा परस्परं कलहं कुरुतः । 

3. वृक्षस्य उपरि वानरः सर्वं पश्यति ।

4. वानरः तुलाम् आनयति ।

5. अयि भगिन्यौ! अयं खण्डः गुरुतरं अस्ति। 5

6. चतुरः वानरः सम्पूर्णां कर्पटिकां खादति ।


V. वर्णसंयोगः क्रियताम्- (वर्णसंयोजन कीजिए।) (Join the letters to form words

 1- नाशस्य

  2- भूमौ

  3- कर्पटिका

   4-  वानरः

   5-  वृक्षस्य

   6- तुलाम्

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