Sankalpm sanskrit book bhag 3 पंचम: पाठ: ज्ञानामृतम् class 8

 Sankalpm sanskrit book bhag 3     

 

 पंचम: पाठ:                ज्ञानामृतम् class 8



प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।

 तस्मात् तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता ॥ १ ॥

हिन्दी अनुवाद- प्रिय (मधुर) वाक्य बोलने से सभी प्राणी संतुष्ट होते हैं। इसीलिए हमें हमेशा प्रिय(मधुर) ही बोलना चाहिए बोलने में दरिद्रता कैसी?



भूयतां धर्मसर्वस्वं श्रुत्वा चैवावधार्यताम्।

आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत् ॥ 2 ॥

हिन्दी अनुवाद- धर्म के सार को सुनो और सुनकर धारण भी करो, जो व्यवहार हमें पसंद ना हो वैसा व्यवहार हमें दूसरों के साथ नहीं करना चाहिए।

 

हीयते हि मतिस्तात हीनैः सह समागमात् ।

समैश्च समतामेति विशिष्टैश्च विशिष्टताम् ॥ 3 ॥

हिन्दी अनुवाद- हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहने से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है ।

 

आगमानां हि सर्वेषामाचार श्रेष्ठ उच्यते।

आचारप्रभवो धर्मो धर्मादायुर्विवर्धते ॥ 4 ॥

हिन्दी अनुवाद- सभी शास्त्रों में आचार (सदाचार) को ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है। सदाचार( आचार) से ही धर्म की उत्पत्ति है, और धर्म से ही आयु बढ़ती है।

गौरवं प्राप्यते दानात् न तु वित्तस्य सञ्चयात्। स्थितिरुच्चैः पयोदानां पयोधीनामधः स्थितिः ॥ 5 ॥

हिन्दी अनुवादवित्त(धन) के संचय से नहीं अपितु दान से गौरव प्राप्त होता है। जल देनेवाले बादलों का स्थान, जल का समुच्चय(इकट्ठा) करने वाले सागर से उच्च है।

 

 

एकपदेन उत्तरत-

    1  जन्तवः

   2   आत्मनः

   3    मतिः

   4   आचार:

   5     दानात्

   6   पयोधीनाम्

 

पूर्ण वाक्येन उत्तरत्-

      1- मतिः  समै: सह समताम् एति ।

 

      2-  धर्मात् आयुः विवर्धते।

      3-  पयोदानाम् स्थितिः उच्चैः भवति।

      4- गौरवं वितस्य सञ्जयात् तु न प्राप्यते ।

      5-  सर्वे जन्तवः  प्रियवचनेन तुष्यन्ति ।

 

प्रश्न निर्माण

      1 -      का

      2 -    कै:

      3-   कस्मात्

       4  - किं

       5-   :

       6-  कस्य

 

शुद्ध अशुद्ध वाक्य-

      1- शुद्धम् 

      2- शुद्धम्

      3- अशुद्धम्

      4- शुद्धम्

      5-शुद्धम्

      6- अशुद्धम्

      7-शुद्धम्

      8- अशुद्धम्

V. श्लोकांशानाम् उचित मेलनं कुरुत-

  1- तस्मात् तदेव वक्तव्यम्-‘(घ) वचने का दरिद्रता।

   2- आत्मनः प्रतिकूलानि-(ग) परेषां न समाचरेत्।

    3- हीयते हि मतिस्तात-(क) हीनैः सह समागमात्।

     4- आचारप्रभवो धर्मो--  (ङ) धर्मादायुर्विवर्धते ।

     5 -गौरवं प्राप्यते दानात्--   (ख) न तु वित्तस्य सञ्चयात्।

 

विलोम पदेन सह मेलनं कुरुत-

       1- दरिद्रता-   सम्पन्नता

       2- विशिष्टा: - सामान्यैः

        3- समताम्-  विषमताम्

        4-  दानात् -  सञ्जयात्

       5-  पयोदान्ते पयोधीनाम्

 

VII. अधोलिखितपदानां मूल शब्द, लिंगं, विभक्तिं वचनं च लिखत— (निम्नलिखित शब्दों के मूल शब्द, लिंग, विभक्ति एवं वचन लिखिए।) (Write the basic word, gender, case and number of the following words.)

 


      पदानि     मूलशब्दं  लिंग  विभक्ति वचनम्

1- जन्तवः- जन्तु,  पुल्लिंग,  प्रथमा,बहुवचनम्

2- हीनैः-  हीन,नपुंसकलिंग,तृतीया,बहुवचनम

3- धर्मात् -धर्म, पुल्लिंग, पंचमी , एकवचनम्

4- पयोदानाम् बादल, पुल्लिंग,षष्ठी,बहुवचनम्

5- वित्तस्य-वित्त(धन),पुल्लिंग,षष्ठीएकवचनम्

 


 

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