Sankalpm sanskrit book bhag 3 षष्ठः पाठः परोपकारार्थमिदं शरीरम् class 8

 Sankalpm sanskrit book bhag 3 षष्ठः पाठः परोपकारार्थमिदं शरीरम् 




शिक्षणबिन्दुः- वृक्षाः पर्यावरणस्य आधाराः सन्ति, अपि परोपकाराय फलन्ति।

 

(उद्यानस्य दृश्यम्शान्तं वातावरणम्वृक्षेषु  खगाः मथुरस्वरेण कूजन्तितत्र आम्रवृक्षः जम्बुवृक्षः परस्परं वार्ता कुरुतःनेपथ्ये झर...झर... इति ध्वनिः भवति।)

                       प्रथम दृश्यम्

 

आम्रवृक्ष: ( ध्वनि श्रुत्वा ) अरे, शान्ते … .. … .. … . … . … … … .. … … .. … … आम्रवृक्षः जम्बूवृक्षः च हसत:

    

हिन्दी अनुवादआम का वृक्ष- (ध्वनि सुनकर) अरे शांत प्रातः काल में कौन झर - झर-  झर की ध्वनि करता है?

जामुन का  वृक्ष - मित्र पीपल के वृक्ष के अलावा अन्य कौन शब्द कर सकता है? बिना हवा के भी वह हमेशा शब्द करता है।

आम का वृक्ष -- सत्य कहते हो । मानव  की तरह यह विशाल वृक्ष भी गर्व से शब्द करता है।  वह तो निर्लज्ज है।

पीपल का वृक्ष—( प्रवेश करके  क्रोध सहित) तुम दोनों क्या बोलते हो? तुम्हारा क्या महत्व है? मधुमास में ही लोग तुम्हारी प्रशंसा करते हैं। कोयल भी तभी मधुर गाना गाती है।

आम का वृक्ष—( हंसकर) अरे पीपल! मेरे साथ तुलना मत करो। मेरे मधुर फल जब सभी खाते हैं तभी वह कहते हैं—“नीम के पेड़ पर बार-बार दूध और घी का छिड़काव करने पर भी वह कभी मीठा नहीं होता''

मधुरता तो मेरे फलों में ही होती है। 



निम्बू वृक्ष—( प्रवेश करके गर्व सहित )-अरे  रसाल- अत्यधिक आत्म प्रशंसा मत करो। तुम्हारी मधुरता तो क्षण भर का सुख देती है। किंतु जब लोग पित्त की गर्मी से दुखी होते हैं तभी मेरे रस को पीकर ही वे निरोग होते हैं । आयुर्वेद का मैं ही जन्मदाता हूं। दरिद्र का मैं ही राज वैद्य हूं।

 पीपल का वृक्ष (नींबू वृक्ष के समीप आकर) --धन्य हो मित्र धन्य हो। तुम्हारे समान परोपकारी इस धरा पर कोई भी नहीं है।

 जामुन का वृक्ष-- परंतु तुम्हारे फल तो कोई भी नहीं खाता है। तुम्हारे फल का नाम सुनकर ही मुख कड़वा होता है। मेरा नाम सुनकर ही मुख रस युक्त होता है। मैं नारियल के वृक्ष के इतना ऊंचा तो नहीं हूं परंतु सभी को फल और छाया देता हूं।

 नारियल का वृक्षबस बस आत्म प्रशंसा। तुम बाहर से काले ही नहीं बल्कि तुम्हारे भीतर से भी कठोर बीज होता है। मैं बाहर से तो कठोर हूं परंतु मेरे भीतर स्वादिष्ट भोजन होता है। सभी प्रसन्न मन से खाते हैं।

जामुन का वृक्ष --किंतु सभी जीव नहीं खाते हैं। केवल मानव ही खाते हैं। मैं तो सभी के लिए ही सुलभ हूं। नारियल का पेड़ परंतु हमेशा सभी जगह उपलब्ध नहीं होते हो।

 नारियल का  वृक्--ष सभी ऋतुओं   में तो मैं ही सभी जगह सुलभ होता हूं। न जाने क्यों लोगों ने मेरा तिरस्कार करके आम फल को फल सम्राट का पद दे दिया। फल सम्राट होने के तो मैं ही योग्य हूं।

 आम का वृक्ष (हंसकर )सत्य सत्य पहले जाकर दर्पण में मुंह देखो। (उपहास करके) छाया रहित लंबा वृक्ष ही अब सम्राट होगा।( आम और जामुन के वृक्ष हंसते हैं।



                           द्वितीय-दृश्यम्

 

(कदम्बवृक्षेण सह अशोकवृक्ष: ….. .. ….. . … .. …. … .….. परार्थाय भवन्ति।

हिन्दी अनुवाद—(कदम्बवृक्ष के साथ अशोक वृक्ष प्रवेश करता है और कहता है।)

अशोक वृक्ष-- अरे मित्र फल और फूल तो प्रायः सभी वृक्ष देते हैं। किंतु शीतल छाया सभी नहीं देते हैं। मैं शीतल छाया देकर गर्मी के ताप को दूर करता हूं । मैं तो लोगों का शोक दूर करता हूं, इसीलिए लोग मुझे “अशोक'' कहते हैं।

 कदंब वृक्ष-  हां हां । परंतु मैं भी किसी से छोटा नहीं हूं। द्वापर युग में कालिन्दी नदी के तट पर भगवान श्री कृष्ण मित्रों के साथ मेरे ऊपर ही खेलते थे। मेरे शरीर पर बेर वृक्ष की तरह कांटे भी नहीं होते हैं। इसीलिए बालक मेरे ऊपर खेलते हैं और मुझे सखा मानते हैं।

अशोक वृक्ष- देखो मित्र बेर वृक्ष भी आ रहा है।

 बेर वृक्ष—( प्रवेश करके अट्टहास पूर्वक) अरे क्या संसार में मेरा महत्व नहीं है। क्या मैं जंगली वृक्ष ही हूं । नहीं नहीं उत्तराखंड में हिमालय प्रदेश में नारायण भगवान हमारे वन में ही तब करते थे इसीलिए वह ' बद्रीनारायण' नाम से विख्यात हुए। भक्तिमति शबरी ने  वन में श्री राम का स्वागत  बेरों के फल से ही किया था। क्या यह नहीं जानते हो?

कदंब वृक्ष --जानता हूं। किंतु तुम्हारे शरीर में तो बहुत कांटे हैं। उनको देखकर सभी भयभीत होते हैं। तुम्हें  हमेशा बैर ही अच्छा लगता है। इसीलिए तुम्हारा नाम 'बेर’ भी है।

बेरवृक्ष अरे यह तो तुम्हारी अज्ञानता है । इस संसार में जो सीधा होता है वह हमेशा दुख प्राप्त करता है जो कुटिल होता है वह हमेशा सुख सम्मान प्राप्त करता है। सीधे और उन्नत वृक्ष का छेदन तो सभी करते हैं। वन में मैं ही 'वृक्षराज' हूँ।

 

( बाद में सभी वृक्ष मञ्च पर आ जाते हैं।)

 

आमवृक्ष-  धिक्कार है तुम्हें कांटो के वाहक। मैं वृक्ष सम्राट हूं ।

अशोक वृक्ष --शोक हर्ता मैं ही वृक्षों में श्रेष्ठ हूं।

 कदंब वृक्ष-- नहीं ,नहीं मैं ही श्रेष्ठ हूं।

नारियल  वृक्ष-- मैं सबसे ऊंचा हूं। इसीलिए मैं ही बृक्षराज हूं।

 जामुन वृक्ष-- हे लंबे  वृक्ष, दूर जाओ। वृक्षों में मैं ही श्रेष्ठ हूं।



 ( सभी वृक्षों की कलह देखकर वटवृक्ष आता है। )

वटवृक्ष—शांति,शांति । आपस में कलह मत करो। इस संसार में सभी का महत्व है। यहां कोई छोटा और बड़ा नहीं है। कोई भी किसी का उपहास मत करो। सभी पर्यावरण का आधार, सभी औषधियों का भंडार और परोपकार की साक्षात मूर्ति है।  हम सभी को परोपकार के लिए अपना जीवन समर्पित करना चाहिए। हम भी सुख प्राप्त करें और दूसरों को भी सुख प्रदान करें। ऐसी ही मेरी कामना है।

 सर्वे सभी-- वृक्ष आप जैसा कहते हैं हम सभी वहीं पालन करेंगे।

 ( पीछे से इस श्लोक की ध्वनि आती है।)

वृक्ष सज्जन पुरुष की तरह ही होते हैं अन्य को छाया देते हैं और अपने स्वयं गर्मी में रहते हैं ,उनके फल भी दूसरों के लिए ही होते हैं

I-

एकपदेन उत्तरत-

1-  पिप्पलवृक्षात्

2- आम्रवृक्षात्

3- राजवैद्य:

4- नारिकेलस्य

5- शीतलच्छायां

6- कदम्बवृक्षे

7- बदरीफलै;

8- सरलोन्नतस्य

9- वटवृक्ष: 

10- पर्यावरणस्य


II--II. उत्तरपुस्तिकायाम् पूर्णवाक्येन उत्तरत – ( -(उत्तरपुस्तिका में पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए।) (Write complete answers in your note-book.)


1. पित्ततापै: तप्ता: जना:  निम्बस्य सत्त्वं पीत्वा नीरोगाः भवन्ति 


2.भो लम्बवृक्ष, दूरं गच्छ। वृक्षेषु अहमेव श्रेष्ठः अस्मि। '

  जम्बूवृक्षः इति कथयित्वा नारिकेलवृक्षस्य उपहासं करोति । 

3. अशोकवृक्ष: जनानां शोकं नाशयन्ति। अतैव वृक्षस्य नाम 'अशोकः'  अस्ति । 


4. भगवान् नारायणः बदरीविशालः तप: कृतवान् इयमेव 'बदरीनारायणः' इति नाम्ना विख्यातः अस्ति? 

5.    स्वयमपि सुखं प्राप्नोति  परेभ्यः अपि सुखं यच्छतु।

इयमेव  वटवृक्षस्य मनोकामना । 

III-

1- कस्मिन्

2- कस्य

3- केभ्यः

4- कस्याम्

5- के

6- के

7- कस्मै

अस्ति।"

Iv--

1- आम्रवृक्षः 

2- निम्बवृक्षः

3-जम्बूवृक्ष:

4- नारिकेलवृक्ष:

5- बदरीवृक्षे

6- सर्वेवृक्षा:


V--

1- न

2- आम्

3- आम्

4- न

5- आम्

6- आम्

7- न

8- आम्

Vi--

1- आम्रवृक्षाय

 2- जम्बूवृक्षाय

 3- नारिकेलवृक्षाय

 4- अशोकवृक्षाय

 5- बदरीवृक्षाय

 6- वटवृक्षाय, सर्वे वृक्षाय 


 - अगर आपको संकल्पम  भाग 3 के किसी भी पाठ का वीडियो चाहिए तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके प्राप्त कर सकते हैं, धन्यवाद


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