Sankalpm sanskrit book bhag 3 चतुर्थः पाठ: - मूर्ख मण्डलम् ( चित्रकथा)
कस्मिंश्चित् अरण्ये------------------------प्रति अगच्छत्।
हिन्दी अनुवाद- किसी जंगल में पीपल का एक विशाल पेड़ था। उस पर सिन्धुक नाम का एक पक्षी रहता था। उसके मल से सोना उत्पन्न होता था। एक बार कोई शिकारी उस जंगल में गया। तब पक्षी ने उसके सामने ही मल विसर्जन कर दिया। मल को स्वर्ण में देखकर वह शिकारी चकित हो गया। उसने सोचा मैंने वन में कभी भी ऐसा विचित्र पक्षी नहीं देखा। अरे इसके मल से तो सोना उत्पन्न होता है। उसने जाल फैला कर उस पंछी को पकड़ कर पिंजरे में बंद कर लिया। उसने फिर सोचा इस पक्षी का मैं क्या करूंगा? ऐसा विचित्र पक्षी तो महाराज के समीप ही होना चाहिए। इसीलिए महाराज के लिए ही यह पक्षी दे दूंगा। ऐसा विचार करके राज सभा की ओर गया।
महाराजं नत्वा अवदत्-------------------हि मूर्ख मण्डलम्।
हिन्दी अनुवाद- वह महाराज को प्रणाम करके बोला महाराज यहां कोई विचित्र पक्षी है। इसके मल से सोना उत्पन्न होता है। महाराज बहुत ही प्रसन्न हुए उन्होंने सेवकों को आदेश दिया कि- हे सेवकों इस विचित्र पक्षी की सावधानी पूर्वक रक्षा करो। शिकारी को बहुत सा पुरस्कार दिया। तब एक मंत्री ने राजा से कहा महाराज यह शिकारी असत्य बोलता है। क्या कभी पक्षी के मल से भी सोना उत्पन्न होता है ? ऐसा असंभव भी है। शिकारी के वचन पर विश्वास मत कीजिये इस पक्षी को पिंजरे से मुक्त कर दीजिए। एक सेवक मंत्री के वचन के अनुसार पिंजरे का द्वार खोल देता है। पंछी पिंजरे से उड़कर राजभवन के ऊंचे स्थान पर बैठ जाता है वहां उसने मल विसर्जन किया।तब मल सोना हो गया। राजा आदि सभी लोगों ने आश्चर्य से उस मल को देखते रह गए। तब पक्षी हंसकर बोला- "पहले मैं मूर्ख था, फिर शिकारी, फिर राजा, फिर मंत्री ,यहां तो मूर्खों की मंडली ही है। "
एकपदेन उत्तरत-
1- अश्वत्थवृक्षः
2- सुवर्णम्
3- पञ्जरे
4- व्याधाय
5- व्याधस्य
II. उत्तरपुस्तिकायाम् पूर्णवाक्येन उत्तरत-(उत्तरपुस्तिका में पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए।)
(Write answers in complete sentences in the note-book.)
1. पक्षी कुत्र पुरीषोत्सर्जनम् अकरोत् ?
उत्तर- पक्षी व्याधस्य पुरतः पुरीषोत्सर्जनम् अकरोत्।
2. व्याधः वने किम् अचिन्तयत् ?
उत्तर- व्याधः वने अचिन्तयत्- “ अहं कदापि एतादृशं विचित्रखगं न अपश्यम्। अहो, एतस्य पुरीषे सुवर्णम् उत्पन्नम् भवति।
3. व्याधः किम् विचार्य राजसभा प्रति अगच्छत् ?
उत्तर- “ एतस्य खगस्य अहं किं करिष्यामिश् एतादृशः विचित्रः पक्षी महाराजस्य समीपे एव भवेत्। अतः महाराजाय एव एवं खगं दास्यामि।“
इति विचार्य व्याधः राजसभां प्रति अगच्छत् ।
4. ‘महाराज! एषः व्याधः असत्यं वदति’ इति कः कम् कथयति ?
उत्तर- “महाराज! एषः व्याधः असत्यं वदति’ । एकः मन्त्री नृपम् अवदत्।
5. अस्मिन् पाठे के मूर्खाः सन्ति ?
उत्तर अस्मिन् पाठे सर्वे हि मूर्खाः सन्ति।
प्रश्न निर्माण कुरुत-
1- क:
2- कस्मै
3-कं
4- कस्मात्
5- के
घटना क्रमानुसार-
1 - उत्तरपुस्तिकायाम् घटनाक्रमानुसारेण वाक्यानि पुनः लिखत (निम्नलिखित घटनाओं को क्रमानुसार उत्तरपुस्तिका में पुनः लिखिए।)
(Rewrite the sentences in the sequence of incidents in the note-book) '
1 . कस्मिंश्चित् अरण्ये एकः महान् अश्वत्थवृक्षः आसीत् ।
2. सिन्धुकस्य पुरीषे सुवर्णम् उत्पन्नं भवति स्म।
2. एकदा कश्चन व्याधः तत् अरण्यम् अगच्छत् ।
4. व्याध: जालं प्रसार्थ तं खर्ग गृहीत्वा पञ्जरे अकरोत्
5, एतादृशः विचित्र पक्षी महाराजस्य समीपे एव भवेत्।
6. महाराज। एषः व्याधः असत्यं वदति।
7. एक: सेवक: मन्त्रिवचनानुसारं पञ्जरद्वारम् उद्घाटयत् ।
8. राजादयः सर्वे आश्चर्येण तत् पुरीषम् अपश्यत्
अव्ययपदानां-
1 कदापि
2 पुनः
3 एकदा
4 मा
5 तत्र
6 यदि , तदा
स्थूल पदानि कस्मै प्रयुक्तानि-
1 व्याधाय
2 व्याधाय
3 खगाय
4 नृपाय
5 खगाय
क: कम् कथयति-
1 व्याध:
महाराजं
2 महाराजः
सेवकम्
3 मन्त्री
नृपम्
4 खग:
सर्वम् प्रति
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