त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुः च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव-देव ॥1॥
अर्थः तुम ही माता हो, तुम ही पिता हो, तुम ही बन्धु हो और तुम ही सखा (मित्र) हो। तुम ही विद्या हो, तुम ही धन हो, हे देवों के देव! तुम ही मेरे सब कुछ हो।
God of Gods! You are my Mother and you are my Father, you are my Relative and you are my Friend, you are my Knowledge and you are my Wealth, you Truly are my everything.
ओंकारं बिन्दुसंयुक्तं नित्यं ध्यायन्ति योगिनः ।
कामदं मोक्षदं चैव ओंकाराय नमो नमः ॥ 2 ॥
अर्थः बिन्दु (अनुस्वार) से संयुक्त 'ओंकार' पद को योगी लोग हमेशा ध्यान करते हैं। सभी इच्छाओं को पूरा करने वाले और मोक्ष (मुक्ति) को देने वाले 'ओंकार' पद को ही नमस्कार है।
Om, which is united with the Source, on which the Yogis ever dwell, which grants desires and liberation, my salutation to such an 'Omkara' word.
कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती।
करमूले स्थिता गौरी प्रभाते करदर्शनम् ॥ 3 ॥
अर्थः हाथ के उपरी भाग में लक्ष्मी रहती हैं। हाथ के बीच में सरस्वती रहती हैं और हाथ के मूल (जड़) कलाई में गौरी विराजमान रहती हैं। इसलिए प्रातः काल (सबसे पहले) हाथों का दर्शन करना चाहिए।
At the tip of the hand Devi Laxmi (the Goddess of wealth) dwells and at the middle of the hand Devi Saraswati (the Goddess of knowledge) dwells. At the base of the hand Devi Gauri (the Goddess of strength) dwells. Therefore, one should look at one's hands in the early morning and contemplate on them.
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥ 4 ॥
अर्थ: गुरु ब्रह्मा हैं, गुरु विष्णु हैं, गुरु महादेव शिव हैं, गुरु परब्रह्म (परमात्मा) हैं, उस श्री गुरुदेव को प्रणाम है।
The Guru is Brahma (the Creator), the Guru is Vishnu (the Sustainer), the Guru Deva is Maheshwara (Shiva) (the Destroyer). The Guru is verily the 'ParaBrahma' (Supreme Brahma), Salutation to that Guru.
1- शुद्ध उत्तर चुनिए--
1 - बिन्दु संयुक्तम् ओंकारं
2- लक्ष्मी
3- करमूले
4- करदर्शनम्
5- देव:
उचित मेलनम् कुरुत--
बिन्दुसंयुक्तम् - ओंकारं
कराग्रे - लक्ष्मी
गुरुः - विष्णुः
करमध्ये - सरस्वती
त्वमेव - विद्या
करमूले - गौरी
III - रिक्त स्थानानि पूरयति-
ओंकारं, नित्यम्
मोक्षदं नमोनम:
V - वर्ण संयोजन-
1- कामदम्
2- सरस्वती
3- महेश्वरः
4- विद्या
5- द्रविणम्
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