संकल्पम भाग 2 प्रथमः पाठ: मंगलाचरणम
शिक्षणबिन्दुः विद्यायाः महत्त्वं विद्याधारितानि जीवनमूल्यानि च।
1- अपूर्वः कोऽपि कोशोऽयं विद्यते तव भारत ।
व्ययतो वृद्धिमायाति क्षयमायाति सञ्चयात् ॥ 1 ॥
हे भारती (सरस्वती) ! आपका यह खजाना (विद्यारूपी) अनोखा ही है। (क्योंकि) व्यय (खर्च) करने से इसमें वृद्धि (बढ़ोत्तरी) होती है और बचाकर रख कमी आती है।
2- विद्या ददाति विनय, विनयाद याति पात्रताम् ।
पात्रत्वाद् धनमाप्नोति, धनाद् धर्म ततः सुखम् ॥ 2 ॥
विद्या (मनुष्य को) विनम्रता देती है। विनम्रता से पात्रता (योग्यता) आती है। योग्यता से धन प्राप्त होता है। धन से धर्म (कर्तव्य) निभाया जाता है और धर्म से सुख प्राप्त होता है।
3. सुन्दरोऽपि सुशीलोऽपि कुलीनोऽपि महाधनः ।
शोभते न विना विद्यां विद्या सर्वस्य भूषणम् ॥ ३ ॥
सुन्दर होते हुए भी, सुशील होते हुए भी, खानदानी होते हुए भी और बहुत पैसेवाला होते हुए भी व्यक्ति विद्या के बिना नहीं शोभता है। (इसलिए) विद्या ही सबका आभूषण है।
4. सुखार्थिनः कुतो विद्या विद्यार्थिनः कुतः सुखम् । सुखार्थी वा त्यजेत् विद्यां विद्यार्थी वा त्यजेत् सुखम् ।।4।।
सुख चाहने वाले को विद्या कहाँ और विद्यार्थी को सुख कहाँ। इसलिए सुख चाहने वाले को विद्या छोड़ देनी चाहिए तथा विद्या चाहने वाले को सुख छोड़ देना चाहिए।
5- अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम् ।
अधनस्य कुतो मित्रम् अमित्रस्य कुतः सुखम् ॥ 5 ॥
आलसी के जीवन में विद्या कहाँ, विद्या के बिना धन कहाँ, बिना धन वाले के मित्र कहाँ और बिना मित्र के सुख कहाँ ।
अभ्यास कार्याणि (अभ्यास कार्य) (Exercises)
I. प्रदत्त विकल्पेभ्यः शुद्धम् उत्तरं चिनुत - (दिए गए विकल्पों में से शुद्ध उत्तर चुनिए।) (Choose the correct answer from the given options.)
1- पात्रताम्
2- विद्या
3- अलसस्य
4- क्षयम्
5- अपूर्वः
No comments:
Post a Comment