तृतीयःपाठः कक्षा 6 ज्ञानवर्धकाः श्लोकाः

 


शिक्षणबिन्दुः जीवने व्यवहारिकम् ज्ञानम् अपि आवश्यकम् भवति ।


                    बलम्


दुर्बलानाम् बलम् राजा बालानाम् रोदनम् बलम् । 

मूर्खाणाम् च बलम् मौनम् चौराणाम् अनृतम् बलम् ॥ 1 ॥ 


अर्थ: कमजोर लोगों की ताकत राजा होता है, बच्चों की ताकत रोना होता है, मूर्खों की ताकत चुप रहना होता है और चोरों की ताकत झूठ बोलना होता है।


The king is the strength of weak people. The strength of children is crying. The strength of fools is to keep quiet and the strength of thieves is to lie.




      धनम्


विदेशेषु धनम् विद्या व्यसनेषु धनम् मतिः । 

परलोके धनम् धर्मः शीलम् सर्वत्र वै धनम् ॥ 2 ॥


 अर्थ--  विदेशों में (घर से बाहर) विद्या (ज्ञान) ही धन होता है, विपत्ति में बुद्धि ही धन होती है, परलोक में धर्म ही धन होता है और सब जगह शील (चरित्र, सदाचार) ही धन होता है।


In a foreign country (abroad) knowledge is the wealth. In hard times intelligence is the wealth. In the other (next) world performance of duty is the wealth and good character is the wealth at all places.




              विषम्


अनभ्यासे विषम् विद्या अजीर्णे भोजनम् विषम् । 

विषम् गोष्ठी दरिद्रस्य भोजनान्ते जलम् विषम् ॥ ३ ॥ 


अर्थ: बार-बार अभ्यास न करने पर विद्या (विष) जहर के समान हो जाती है, पेट भरा होने पर भोजन विष के समान हो जाता है। दरिद्र (गरीब) के लिए सभा विष के समान होती है, और भोजन के अन्त में जल पीना विष के समान काम करता है।


When not practiced, knowledge is poison; in indigestion food is poison. For poor, meeting or gathering is poison (as he is not respected there) and drinking water just after eating food works like poison.




                     समम्

नास्ति विद्या समम् चक्षुः नास्ति सत्यसमम् तपः। 

नास्ति रोगसमम् दुःखम् नास्ति त्यागसमम् सुखम् ॥4॥


विद्या के समान आँख नहीं है, सत्य के समान तप नहीं है, रोग (बीमारी) के समान दुख नहीं है और त्याग के समान सुख नहीं है ।


There is no vision equal to knowledge. There is no austerity equal to truth. There is no pain equal to illness and there is no happiness equal to sacrifice.




                      भयम्


पर्वतानाम् भयम् वज्रात्, पद्मानाम् शिशिरात् भयम् । पादपानाम् भयम् वातात्, सज्जनानाम् खलात् भयम् ॥ 5 ॥ 


अर्थः पहाड़ों को वज्र (इन्द्र के अस्त्र) से भय होता है, कमलों को ठंड से भय होता है, पेड़ों को आँधी से भय होता है और सज्जनों को दुष्ट से भय होता है ।


The mountains fear thunderbolt of Indra, lotuses fear frost, trees fear storm and the noble men fear wicked.




सही उत्तर चुनिए-

    1- राजा

   2-  विदेशेषु

   3- भोजनान्ते

   4-  तपः

   5- वातात्


    2. उदाहरणानुसारम् रेखांकितपदानि आधृत्य उचितप्रश्नपदं चिनुत (उदाहरण के अनुसार रेखांकित पदों के स्थान पर उचित प्रश्न पद चुनिए।) (Choose and write the correct form of the question for the underlined words.)

           1- किम्

           2- का

           3-  किम्

          4-   कस्य

          5-  कस्मात्

    III-    समानार्थकपदेन सह मेलनम् कुरुत--

           1- मतिः    -     बुद्धिः

           2-  धनम्  -     वित्तम्

           3-   गोष्ठी   -    सभा

           4-    रविः   -    सूर्यः

           5-   अनृतम् -  असत्यम्

           6-  चक्षुः     - नेत्रम्


    IV - रिक्त स्थानानि पूरयत-- 

           1- बालानाम्

           2- विदेशेषु

           3-  सत्यसमम्

           4-   जलम् 

   V-- 

       1-  विद्या,   व्यसनेषु

            धनम्,    शीलम्


        2-  चक्षुः,  सत्यसमम्

             अस्ति,   त्यागसमम्


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