संस्कृत संकल्पम् भाग 2 तृतीयः पाठ: प्रभातवेला

 संस्कृत संकल्पम् भाग 2 आयुः पाठ: प्रभातवेला



हिन्दी अनुवाद-

प्रभात काल की शोभा में सुंदर और रमणीय है। पूर्व दिशा का यह सूर्य का प्रकाश सभी के जीवन में संचार करता है। इस सभी समय के लिए संतोषजनक स्वास्थ्यवर्धक है। 

 सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त है। यह समय मनुष्य के लिए अमृत काल है। जो भी साधक है वह । साधक साधना.

 यज्ञ करने वाला यज्ञ । मुनि और ऋषि मंत्र मंत्र. और ब्रह्मचारी विद्यार्थी अपना सुना है। सभी ब्रह्म मुहूर्त में हैं। लोग इस मुहूर्त में सूर्य का रंग लाल है। लाल रंग का सूचक है। 


सूर्य के रंग में रंग होने से पहले ऐसा होता है। प्रभात तो चिन्ह का प्रतीक है। सभी चर और अचर जीकर उठने के बाद टाइप करने के लिए उपयुक्त हैं। सरोवर में सूरज की रोशनी से कमल हिलते हैं। अरेम आवा मधु रसोई । बाहर निकलने के लिए किसान के साथ रहें।


 सभी ऋतु में प्रातकाल काल की शोभा अलग-अलग अलग-अलग है। गर्मी की गर्मी में सुबह-शाम गर्मी से लेकर ताप तक। बर्फ़ीला तूफ़ान में सुबह-शाम ठंडा और गर्म रहेगा। शरद ऋतु में प्रातः काल के शोभा में सुंदर होते हैं। घास के समान दिखाई देने वाले दृश्य दिखाई देते हैं। मध्याह्न ऋतु और शिशिर में सुबह ठंड रहती है। बसंत ऋतु में प्रातः काल अधिक हीभा देता देता सभी निर्देश क्रमांक के रंग के रंग अलग-अलग होते हैं।

प्रातः काल सचेतन काल। विद्या के उपासक उन्नत है I तेज गेंदबाज़ बूटादि द्वारा गायत्री मंत्र का जाप करें।


संस्कृत संकल्पम् भाग 2 आयुः पाठ: प्रभातवेला समाधान





No comments:

Post a Comment